किस्सा ए ग़म का जो लिए फिरते हो कभी गम से भी पूछा, तुम हमें क्यूं पसंद करते हो? कब से न जाने तेरी चाहत की मोहताज है पर वो तेरे गमों से परेशान है, क्यूंकि गमों का सायबान जो तेरे आस पास है, गमों से बेवफाई करके तो देख खुशियों का बागबान तेरा निगहबान…
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किस्सा ए ग़म का जो लिए फिरते हो कभी गम से भी पूछा, तुम हमें क्यूं पसंद करते हो? कब से न जाने तेरी चाहत की मोहताज है पर वो तेरे गमों से परेशान है, क्यूंकि गमों का सायबान जो तेरे आस पास है, गमों से बेवफाई करके तो देख खुशियों का बागबान तेरा निगहबान…