
एक तरफा ही सही……..प्यार तो प्यार है …. .उसे हो ना हो लेकिन मुझे बेशुमार है
चलो पहली पहली बार कुछ तो हुआ…! तेरी इस अदा ने मेरे दिल को छुआ..!
तुमसे लडाई के बाद बुखार हो जाया करता था। सोचो बिछड़ने पर क्या हाल हुआ होगा मेरा।
तेरे प्रेम मे “राधा” बनना भी मंजुर था मुझे तुम ही “कृष्ण” ना बन सके~~
तु पढ़ती है इस लिए लिख देता हूं वरना तो मैं महसूस करके भी जी लेता हूँ !
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरी ही हो ये और बात है कि क़िस्मत दगा कर गयी
एक बेक़रारी सी है इन हवाओं में, लगे यूँ कि जैसे तू मौजूद है यहीं कहीं…इन फिज़ाओं मेँ.
जाकर समंदर के किनारे तुम अपने हाथों में पानी उठा लेना जितना तुम उठा लो वह तुम्हारी चाहत और जो ना उठा सके वह हमारी मोहब्बत!!!
बड़ा मुश्किल है जज़्बातो को पन्नो पर उतारना, हर दर्द महसूस करना पड़ता है लिखने से पहले….
उसने पूछा दास्तान ए मोहब्बत क्या होती है…! हमने कहा जिसका होना भी क़यामत और खोना भी क़यामत…!!
बातों बातों में पता ही नही चला कब रात हो गई। हम देखते रहे तुमको और #बरसात हो गई
ख़ुद के अंदर ख़ुद ही खली हूँ मैं क्या बताऊँ किस हद तक जली हूँ मैं
हम #अधूरे नहीं हैं, तुम बिन ……. मगर ‘पूरे’ भी नहीं हैं, #तुम_बिन
दिल में आने का तो रास्ता होता है लेकिन ,, जाने का नहीं होता, इसलिए ,, आदमी दिल से जब भी जाता है दिल तोड़कर ही जाता है…!! इसलिए ,,जिंदगी में किसी का दिल मत तोड़ना कभी,।।
हमसे किया है हमीं पर आज़माना मोहब्बत की बातें किसी और को ना बताना।
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख्वाबों ने मेरी नीदों से ….!! या तो दोनों आते हैं या कोई आता…..!!
जरूरी तो नहीं हम साथ हैं तो कोई चक्कर हो… वो मेरी दोस्त हैं और मैं उसे बस अच्छा लगता हूं!!
बदलने को तो यूं मौसम भी कुछ कम नहीं बदले, मगर जैसे हो बदले तुम, यू मौसम भी नहीं बदले
किसी दरगाह के ताबीज की तासिर रखतें है कुछ लोग… गले लगाकर … मिटा देतें है.. रूह पर लगे जख्म तक..!.!!
कभी कभी दूरियाँ इतनी बढ़ जाती हैं कि एक मैसज करना भी बहुत ही मुश्किल हो जाता है
अच्छा लगता है तुम्हारे लफ़्ज़ों में खुद को ढूंढना इतराती हूँ मुस्कुराती हूँ और तुम में ढल सी जाती हूँ
मोहब्बत लिबास नहीं जो हर रोज़ बदला जाए मोहब्बत कफ़न है पहन कर उतारा नहीं जाता
तेरे मुस्कुराने का असर सेहत पे होता है..!! लोग पूछ लेते है दवा का नाम क्या है..!!
मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए। जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे मेरा आँसू तेरी पलकों से उठाया जाए।
बिना पूछे ही सुलझ जाती हैं, सवालों की गुत्थियां.. कुछ आँखे इतनी हाज़िर-जवाब होती हैं।।